भारत का उत्तराखंड राज्य देवभूमि यानी देवों की भूमि के नाम से जाना जाता है। जहां पर आपको हर स्थान पर किसी ना किसी देवता के मंदिर मिल जाएंगे जिन्हें लेकर कोई ना कोई मान्यता है। देवभूमि उत्तराखंड में भगवान शिव को कई अलग – अलग रुपों में पूजा जाता है जिनमें से एक केदार रुप है। उत्तराखंड के पौढ़ी गढ़वाल में स्थित केदरानाथ उत्तराखंड के दो तीर्थस्थल केदारनाथ, बद्रीनाथ में से एक है साथ ही केदारनाथ 12 ज्योंतिर्लिंग और चार छोटे धामों में से भी एक है। हालांकि केदारनाथ का अपना एक अलग महत्व है और केदारनाथ सहित चार ओर केदार को पंच केदार के रुप में पूजा जाता है। जिन्हें पांडवों ने बनाया था।
Panch Kedar – पञ्च केदार भगवान शिव को समर्पित शाववे संप्रदाय की पवित्र जगहों में से एक है। यह पांच मंदिर बहुत सी किंवदंतियों का हिस्सा रह चुके है और साथ ही महाभारत के समय में पांडवो का भी इनसे संबंध हुआ है।
भगवान शिव को समर्पित पञ्च केदार – Panch Kedar
यह पांच मंदिर हिमालय के शिखर पर केदारनाथ पर 3583 मीटर की ऊंचाई पर बसे हुए है। इन पांच मंदिरों में रुद्रनाथ, तुंगनाथ, कल्पेश्वर और मध्यमहेश्वर उर्फ़ मदमहेश्वर शामिल है।
गढ़वाल क्षेत्र को केदार-खंड भी कहा जाता है, जो भगवान शिव का स्थानिक नाम हुआ करता था। क्षेत्र में भगवान शिव के शिव संप्रदाय के विविध प्रतिक दिखाई देते है। क्षेत्र के पश्चिमी भाग में ज्यादातर चामोली जिला बसा हुआ है, जिसे केदार-क्षेत्र या केदार-मंडल के नाम से भी जाना जाता है और यही पांच मंदिरों का समूह पञ्च केदार बने हुए है।
जो लोग केदारनाथ के दर्शन के लिए आते है वे पञ्च केदार के दर्शन किये बिना नही लौटते।
पंच केदार का इतिहास – Panch Kedar History
पंचकेदार को लेकर कहा जाता है कि महाभारत के युद्ध में भ्रात हत्या के कारण भगवान शिव पांडवो से नाराज थे। भगवान शिव को मनाने के लिए पांडव भगवान शिव के पीछे केदारनाथ पहुंचे। केदारनाथ में पांडवो से छिपने के लिए भगवान शिव ने एक बैल का रुप धारण कर लिया। लेकिन पांडवो को शक हो चुका था। इसलिए भीम ने अपना विशाल रुप धारण कर अपना एक पैर दो पहाड़ो के बीच रख लिया।
वहां मौजूद बाकी सभी बैल भीम के पैर के नीचे से चले गए। लेकिन भगवान शिव नहीं निकले। पांडवो को समझ आ चुका था। भगवान शिव बैल का रुप धारण किए हुए है। भगवान शिव उसी समय बैल के रुप में अंर्तध्यान होने लगे। लेकिन भीम ने अपने हाथ से बैल के पीछे के भाग को अपने हाथ से पकड़ लिया।
भगवान शिव का बैल रुप जहां – जहां पर अंर्तध्यान के दौरान प्रकट हुआ उसे पंच केदार कहा जाता है। और इन पंच केदार को आज केदारनाथ, तुंगनाथ, रुद्रनाथ, मध्यमहेश्वर और कल्पेशवर के नाम से जाना जाता है। आपको बता दें भगवान शिव का बैल रुप का धड़ से ऊपर का भाग अंर्तध्यान के दौरान नेपाल की राजधानी काठमांडू में प्रकट हुआ था। जहां पर भगवान शिव पशुपतिनाथ के रुप में पूजे जाते हैं।
मान्यताओ के अनुसार केदरानाथ में भगवान शिव के बैल रुप का पीछे के अंग की पूजा होती है। वहीं तुंगनाथ में भगवान की भूजा की पूजा अर्चना की जाती है। इसके अलावा रुद्रनाथ में मुख, मध्यमहेश्वर में नाभि और कल्पेशवर में जटाओं की पूजा की जाती है। हालांकि पंच केदार के इन मंदिरों से कुछ ओर पौराणिक कथाएं भी जुड़ी हुई है।
पंच केदार से जुड़ी अहम बातें – Fact about Panch Kedar
- 2013 में आई भीषण बाढ़ में भी केदारनाथ के मंदिर को कोई खास क्षति नहीं पहुंची।
- केदारनाथ और महाश्वेर केदार के पुजारी दक्षिण के शेव पुजारी है वहीं तुंगनाथ केदार में पूजा मक्कूमठ के मैठाणी ब्राह्मण करते है।
- रुद्रनाथ भारत का एकलौता मंदिर है जहां पर भगवान शिव के मुख की पूजा होती है। एकानन के रुप में रुद्रनाथ, चतुरानन के रुप में पशुपति नाथ और पंचानन विग्रह के रुप इंडोनेशिय में भगवान शिव के दर्शन होते है।
- रुद्रनाथ के कपाट भी सर्दियों में बंद हो जाते है जिस वजह से भगवान रुद्रनाथ की पूजा इस दौरान गोपेश्वर में होती है।
- कल्पेशवर में भगवान शिव की जटाओं की पूजा होती है ये मंदिर पूरे साल खुला रहता है।
पंच केदार के सभी मंदिर पाडंवो दारा बनाए गए थे जिस वजह से पंच केदार के मंदिर 1 हजार साल से भी ज्यादा पुराने है लेकिन चौंकाने वाली बात ये है कि पंच केदार के मंदिर उन स्थान पर जहां पर आज भी लोगो के लिए जाना बहुत कठिन है फिर उस समय पांडवो ने इन भव्य मंदिरों का निर्माण कैसे किया होगा।
केदारनाथ मंदिर – Kedarnath Temple:
केदारनाथ मंदिर गढ़वाल हिमालय में मन्दाकिनी नदी के पास बना हुआ मंदिर है। यह मंदिर भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक और साथ ही पवित्र हिन्दू मंदिरों में भी शामिल है। यह मंदिर भारत के चार मुख्य धामों या तीर्थस्थलो में से एक है, जो उत्तरी हिमालय में बने हुए है। Read More: केदारनाथ मंदिर – Kedarnath Temple
कल्पेश्वर मंदिर – Kalpeshwar Temple:
कल्पेश्वर मंदिर उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र की उर्गम घाटी में बना हुआ है। और साल भर खुला रहने वाला यह एकमात्र पञ्च केदार मंदिर है। पञ्च केदार मंदिरों का यह पाँचवा मंदिर और गढ़वाल हिमालय के केदार-खंड क्षेत्र में पाया आने वाला अंतिम मंदिर है। Read More: कल्पेश्वर मंदिर – Kalpeshwar Temple
रुद्रनाथ मंदिर – Rudranath Temple:
रुद्रनाथ मंदिर प्राकृतिक पत्थरो उर्फ़ चट्टानों से बना हुआ एक मंदिर है, जो उत्तराखंड की गढ़वाल हिमालय पहाडियों के अल्पाइन चरागाह और रोंडोडेंडन बौने वनों में बना हुआ है। रुद्रनाथ को कभी-कभी सबसे मुश्किल पञ्च केदार मंदिरों में से एक माना जाता है, जहाँ पहुचना काफी मुश्किल है। इस मंदिर का दर्शन श्रद्धालु केदारनाथ और तुंगनाथ के बाद, मध्यमहेश्वर और कल्पेश्वर से पहले करते है। Read More: रुद्रनाथ मंदिर – Rudranath Temple
तुंगनाथ मंदिर – Tungnath Temple:
तुंगनाथ शिव मंदिर दुनिया का सर्वोच्च शिव मंदिर है, जो रुद्रप्रयाग में तुंगनाथ पहाड़ीयो में बना हुआ है। धार्मिक गंतव्य होने के साथ-साथ यह मंदिर हिमालय में बने ट्रेकिंग गंतव्यो में से भी एक है। साथ ही यह मंदिर उत्तराखंड के सर्वोच्च पञ्च केदार मंदिरों में से एक है। Read More: तुंगनाथ मंदिर – Tungnath Temple
मध्यमहेश्वर मंदिर – Madhyamaheshwar Temple:
मध्यमहेश्वर मंदिर पंचकेदार मंदिरों का ही आंतरिक भाग और पञ्च केदार तीर्थस्थलो का चौथा मंदिर है। यह मंदिर चौखंबा के शिखर पर हिमपात से घिरी सुरम्य हरी घाटी में बना हुआ है। साथ ही यहाँ से हम हिमालय की पहाडियों का सुगम्य और रमणीय दृश्य देख सकते है। Read More: मध्यमहेश्वर मंदिर – Madhyamaheshwar Temple
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