पंडित दीनदयाल उपाध्याय | Deendayal Upadhyay

Deendayal Upadhyay – पंडित दीनदयाल उपाध्याय एक भारतीय राजनेता थे। भारतीय जन संघ जो की अब भारतीय जनता पार्टी के नाम जाना जाता है उस संघ के सबसे महत्वपूर्ण नेताओ में से एक है।

Deendayal Upadhyay

पंडित दीनदयाल उपाध्याय – Deendayal Upadhyay

उनका जन्म 1916 को दीनदयाल धाम के पास वाले चंद्रभान गाँव में हुआ जो मथुरा से 26 किलोमीटर दूर है। उनके पिता भगवती प्रसाद एक जाने-माने ज्योतिषी थे और उनकी माँ श्रीमती रामप्यारी धार्मिक महिला थी। युवावस्था में ही उनके माता-पिता की मृत्यु हो गयी और इसके बाद उनके अंकल ने उनका पालन-पोषण किया। अपने अंकल और आंटी के साथ रहते हुए उन्होंने अपनी पढाई भी पूरी की।

सीकर में उन्होंने प्राथमिक शिक्षा प्राप्त की और फिर उन्होंने राजस्थान से मेट्रिक की परीक्षा पास की। इसके बाद बोर्ड परीक्षा में वे प्रथम आए और सीकर के महाराजा कल्याण सिंह ने उन्हें स्वर्ण पदक देकर सम्मानित भी किया और उन्हें 10 रुपये की मासिक शिष्यवृत्ति भी दी जाती और उनकी किताबो के लिए उन्हें अतिरिक्त 250 रुपये दिए गए।

इसके बाद पिलानी में बिरला कॉलेज से उन्होंने इंटरमीडिएट की पढाई पूरी की, वर्तमान बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी एंड साइंस का यह प्राचीन नाम था। इसके बाद 1939 में कंपुरिन के सनातन धर्म कॉलेज से उन्होंने बी.ए. की पढाई पूरी की और वही से फर्स्ट डिवीज़न में ग्रेजुएशन की पढाई भी पूरी कर ली। इसके बाद वे आगरा के सेंट जॉन कॉलेज में दाखिल हुए और वहाँ से अंग्रेजी साहित्य में उन्होंने मास्टर डिग्री हासिल की और इसके लिए उन्हें स्वर्ण पदक से भी सम्मानित किया गया।

इसके बाद उनके अंकल ने उन्हें प्रोविंशियल सर्विस परीक्षा में बैठने की सलाह दी और उनकी नियुक्ति भी की गयी, लेकिन राजनितिक लक्ष्य होने की वजह से उन्होंने वहाँ काम करने से मना कर दिया था। इसके बाद प्रयाग से उन्होंने बी.एड और एम्.एड की पढाई पूरी की।

आरएसएस और जन संघ:

1937 में कानपूर के सनातन कॉलेज में जब वे विद्यार्थी थे, तभी उनका संबंध अपने सहयोगी बालूजी महाशब्दे की सहायता से राष्ट्रिय स्वयंसेवक संघ हुआ। इसके बाद वे आरएसएस के संस्थापक के.बी. हेडगेवार से मिले और उन्होंने उपाध्याय को आरएसएस की एक शाखा का काम सौप दिया। कानपूर में पढ़ते समय सुंदर सिंह भंडारी भी उन्ही के सहयोगी थे।

1942 में उन्होंने अपना पूरा समय आरएसएस के कार्यो में दिया। नागपुर के आरएसएस कैंप में उन्होंने 40 से भी ज्यादा अभियान किए। इसके बाद आरएसएस एजुकेशन विंग में दुसरे वर्ष की ट्रेनिंग पूरी करने के बाद, उपाध्याय आरएसएस के प्रचारक बन चुके थे। 1955 से वे लखीमपुर जिले में आरएसएस के प्रचारक के रूप में कार्यरत थे और साथ ही उत्तरप्रदेश में भी अपने सहयोगियों के साथ वे आरएसएस का प्रसार-प्रचार करते थे। स्थानिक लोग उन्हें एक आदर्श स्वयंसेवक मानते थे।

1940 में लखनऊ में उन्होंने राष्ट्र धर्म की शुरुवात की। इसके प्रकाशन का मुख्य उद्देश्य हिंदुत्व राष्ट्र की विचारधारा को लोगो में विकसित करता था। लेकिन प्रकाशन के किसी भी सत्र में उनका नाम प्रकाशित नही किया गया था। इसके बाद उन्होंने साप्ताहिक पंचजन्य और दैनिक स्वदेश की भी शुरुवात की।

1951 में जब श्याम प्रसाद मुखर्जी ने भारतीय जन संघ की स्थापना की, तब आरएसएस ने दीनदयाल को पार्टी में शामिल होने की सलाह भी दी और उन्हें संघ परिवार का सदस्य बनाया। इसके बाद उनकी नियुक्ति उत्तर प्रदेश राज्य के जनरल सेक्रेटरी के पद पर की गयी और बाद में उन्होंने ऑल इंडिया जनरल सेक्रेटरी बनाया गया। 1953 में मुखर्जी की मृत्यु के बाद सभी संस्थाओ की देख-रेख की जिम्मेदारी दीनदयाल के कंधो पर आ चुकी थी। इसके बाद तक़रीबन 15 सालो तक दीनदयाल पार्टी के जनरल सेक्रेटरी बने रहे। इसके बाद उत्तर प्रदेश से लोकसभा के लिए भी उनका नामनिर्देशन किया गया, लेकिन वे ज्यादा सफल नही हो सके।

मृत्यु:

11 फरवरी 1968 को उत्तरप्रदेश के मुघलसराय में रहस्यमयी परिस्थितियों में ट्रेन से यात्रा करते समय ही उनकी मृत्यु हो गयी थी। उपाध्याय की मृत्यु के लिए लोगो में बहुत सी अटकले लगायी जा रही थी। उनके सहयोगी और जन संघ के संस्थापक सदस्य बलराज मधोक अक्सर कहते थे की, उनकी मौत की हादसा नही बल्कि मर्डर थी।

उपलब्धियां:

• पंडित दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल, वाराणसी

• पंडित दीनदयाल उपाध्याय उर्जा भवन, दिल्ली

• पंडित दीनदयाल उपाध्याय सनातन धर्म विद्यालय, कानपूर

• दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर यूनिवर्सिटी

• दीन दयाल उपाध्याय अस्पताल, दिल्ली

• पंडित दीनदयाल उपाध्याय विद्यालय, कानपूर

• पंडित दीनदयाल उपाध्याय संयुक्त जिला चिकित्सालय, बिजनोर (उत्तर प्रदेश)

• पंडित दीनदयाल उपाध्याय नेशनल अकैडमी ऑफ़ सोशल सिक्यूरिटी, जनकपुरी, दिल्ली

• दीन दयाल उपाध्याय कॉलेज

• पंडित दीनदयाल उपाध्याय शेखावती यूनिवर्सिटी, सीकर (राजस्थान)

• पंडित दीनदयाल फ्लाईओवर, यशवंतपुर, बेंगलुरु

• पंडित दीनदयाल पेट्रोलियम यूनिवर्सिटी, गांधीनगर, गुजरात

• पंडित दीनदयाल उपाध्याय मेडिकल कॉलेज, राजकोट

• दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल, शिमला, हिमाचल प्रदेश

• पंडित दीनदयाल उपाध्याय पार्क, इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन लेआउट, बेंगलुरु

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