Udham Singh – उधम सिंह एक भारतीय क्रांतिकारी थे, जो ब्रिटिश भारत में पंजाब के भूतपूर्व लेफ्टिनेंट गवर्नर सर माइकल ओ, डायर की हत्या के लिए जाने जाते है। उधम सिंह ने 13 मार्च 1940 को उनकी हत्या की थी। कहा जाता है की यह हत्या उन्होंने 1919 में अमृतसर में हुए जलियांवाला बाग़ नरसंहार का बदला लेने के लिए किया।
भारतीय स्वतंत्रता अभियान में उधम सिंह एक जाना माना चेहरा है। स्थानिक लोग उन्हें शहीद-ए-आजम सरदार उधम सिंह के नाम से भी जानते है। अक्टूबर 1995 में मायावती सरकार ने उत्तराखंड के (उधम सिंह नगर) एक जिले का नाम उन्ही के नाम पर रखा है।
शहीद-ए-आजम सरदार उधम सिंह – Udham Singh Biography
उधम सिंह के जीवन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी संक्षेप में – Important Information About Udham Singh in Brief
सम्पूर्ण नाम (Full Name) | उधम सिंह। |
जन्मस्थान (Birthplace) | सुनाम, पंजाब (ब्रिटिश भारत) |
जन्म (Birthdate) | २६ दिसंबर १८९९ |
माता का नाम (Mother Name) | नरेन कौर। |
पिता का नाम (Father Name) | टहल सिंह। |
प्रमुख संस्था के सदस्य | ग़दर पार्टी , हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन असोसिएशन , भारतीय कामगार संस्था इत्यादि। |
मुख्य रूप से पहचान | भारतीय क्रांतिकार, मायकेल ओडवायर की इंग्लैंड में हत्या के करनेवाले भारतीय क्रान्तिकारी, युवा क्रांतिकारी, शहीद – ए – आजम उधम सिंह, भारतीय स्वतंत्रता सेनानी। |
वैवाहिक स्थिति | अविवाहित। |
अन्य नाम | शेर सिंह। |
भाई – बहने | मुक्ता सिंह(भाई) |
मृत्यु (Death) | ३१ जुलाई १९४०। |
उधम सिंह के पारिवारिक और प्रारंभिक जीवन की जानकारी – Early Life and Family Life Information About Udham Singh.
शहीद उधम सिंह का जन्म 26 दिसम्बर 1899 को शेर सिंह के नाम से भारत के पंजाब राज्य के संगरूर जिले के सुनाम में हुआ था। उधम सिंह के माता निधन तब ही हुआ था जब उधम सिंह शिशु अवस्था में थे, इनके माता का नाम नरेन कौर तथा पिता का नाम टहल सिंह था। टहल सिंह एक किसान थे साथ ही उपाल्ली नामक स्थान पर रेल्वे वाचमन का कार्य भी करते थे, माता के देहांत के पश्चात कुछ समय बाद उधम सिंह के पिता का भी निधन हुआ। इसके बाद इनके भाई मुक्ता सिंह के साथ उधम सिंह को अमृतसर के पुतलीघर में खालसा सेंट्रल अनाथालय में परवरिश हेतु दाखिल किया गया था, जहाँ सिख परंपरा पद्धति अनुसार उनका बचपन गुजरा था।
मैट्रिक परीक्षा की शिक्षा पूरा करने तक का समय उधम सिंह ने अनाथालय में ही गुजारा था जिसके पश्चात साल १९१९ को उन्होंने खालसा सेंट्रल अनाथालय को छोड़ दिया था। आगे जीवन में हुए कुछ घटनाओ का उधम सिंह के जीवन पर गहराई से प्रभाव हुआ था, जिसमे जलियाँवाला बाग नरसंहार की घटना ने उनके आत्मा को झकझोर दिया और तबसे उनका जीवन क्रन्तिकारी विचारो की राह पर आगे बढ़ा।
उधम सिंह के क्रांतिकारी जीवन का विवरण – Information About Udham Singh Revolutionary Life.
इसके बाद उधम सिंह क्रांतिकारी राजनीती में शामिल हो गए और भगत सिंह एवं उनके क्रांतिकारी समूह का उनपर काफी प्रभाव पड़ा। 1924 में सिंह ग़दर पार्टी में शामिल हो गये और विदेशो में जमे भारतीयों को जमा करने लगे।
1927 में भगत सिंह के आदेश पर वे भारत वापिस आ गए और अपने साथ वे 25 सहयोगी, रिवाल्वर और गोलाबारूद भी ले आए। इसके तुरंत बाद उन्हें बिना लाइसेंस के हथियार रखने के लिए गिरफ्तार किया गया। इसके बाद उनपर मुकदमा चलाया गया और उन्हें पाँच साल की सजा देकर जेल भेजा गया।
1931 में जेल से रिहा होने के बाद, सिंह के अभियान पर पंजाब पुलिस निरंतर निगरानी रख रही थी। इसके बाद वे कश्मीर चले गये और वहाँ वे पुलिस से बचने में सफल रहे और भागकर जर्मनी चले गए।
1934 में सिंह लन्दन पहुचे और वहाँ उन्होंने माइकल ओ’डायर की हत्या करने की योजना बनायीं थी।
जलियांवाला बाग़ नरसंहार – Jallianwala Bagh massacre
10 अप्रैल 1919 को भारतीय राष्ट्रिय कांग्रेस से जुड़े हुए बहुत से स्थानिक नेताओ जैसे सत्य पाल और सैफुद्दीन कित्चले को रोलेट एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया।
इसके बाद प्रदर्शनकारियों ने इस गिरफ्तारी के खिलाफ ब्रिटिश सेना पर आक्रमण किया और चार यूरोपियन की हत्या भी की। इसके बाद 13 अप्रैल को 20 हज़ार से भी ज्यादा प्रदर्शनकारी बिना हथियार के अमृतसर के जलियांवाला बाग़ में जमा हुए थे। जिसमे सिंह और उनके दोस्त अनाथालय से जनता को पानी पिलाते थे।
दंगो के बाद ब्रिगेडियर जनरल रेगीनाल्ड डायर के नेतृत्व में ब्रिटिश सेना ने उनपर आक्रमण करने की ठानी थी। वहाँ पहुचते हुए डायर ने अपनी सेना को बिना किसी चेतावनी के सीधे उन लोगो पर आक्रमण करने का आदेश दिया, जो जलियांवाला बाग़ में जमा हुए थे। आक्रमण के बाद वहाँ जमे लोग किसी तरह दीवारों के उपर से भागने लगे और अपनी जान बचाने लगे।कहा जाता है की उस नरसंहार में तक़रीबन 1500 लोग मारे गए और 1200 से भी ज्यादा लोग घायल हो चुके थे।
इस घटना उधम सिंह के जीवन पर काफी प्रभाव पड़ा। उधम सिंह के अनुसार पंजाब के गवर्नर माइकल ओ’डायर ने इन आक्रमणकारियों की सहायता की थी और उनके अनुसार इस नरसंहार के वही जिम्मेदार थे।
लन्दन के कैक्सटन हॉल में शूटिंग – Shooting at Caxton Hall
13 मार्च 1940 को माइकल ओ’डायर कैक्सटन हॉल में ईस्ट इंडिया एसोसिएशन और सेंट्रल एशियन सोसाइटी की सामूहिक मीटिंग में बोलने वाले थे। सिंह गुप्त रूप से अपने जैकेट पॉकेट में रिवाल्वर (जिसे उन्होंने पंजाब के मल्सियन के पूरण सिंह बौघन से लिया था) लेकर हॉल में गए और वहाँ पर एक खाली सीट पर बैठ गये।
जब बैठक शुरू हो रही थी और जब डायर स्टेज पर जा ही रहे थे तभी सिंह ने उनपर दो गोलियाँ दाग दी। इस शूटिंग में दुसरे लोग भी घायल हुए, जिनमे मुख्य रूप से लुइस डेन, लॉरेंस डुंडा और चार्ल्स कोच्राने-बैल्लि इत्यादि शामिल थे। शूटिंग के बाद सिंह ने जरा भी भागने की कोशिश नही की और उन्हें उसी जगह पर ब्रिटिश सेना ने पकड़ लिया था।
इसके बाद सिंह को अपराधी ठहराया गया और मृत्यु की सजा सुनाई गयी। 31 जुलाई 1940 को सिंह को फाँसी दी गयी और जेल के परिसर में ही उन्हें दफनाया गया।
उधम सिंह से जुडी विरासत – Heritage Concerned With Udham Singh
- सिंह के हथियार जैसे चाकू, डायरी और शूटिंग के दौरान उपयोग की गयी गोली को स्कॉटलैंड यार्ड के ब्लैक म्यूजियम में रखा गया।
- सिंह को समर्पित एक दान दिया जाता है, जिसे बिर्मिंघम के सोहो रोड से संचालित किया जाता है।
- अनुपगढ में शहीद उधम सिंह चौक भी है।
- एशियन डब फाउंडेशन ने अपने 1998 के ट्रैक में सिंह को “हत्यारा” बताया।
स्का वेंजर्स ने 2015 में अपने म्यूजिक विडियो और ट्रैक “फ्रैंक ब्राज़ील” में सिंह का उल्लेख भी किया था। - अमृतसर के जलियांवाला बाग़ के पास सिंह को समर्पित एक म्यूजियम भी है।
- सिंह के चरित्र को बहुत सी फिल्मो में दिखाया गया है : जलियांवाला बाग़ (1977), शहीद उधम सिंह (1977) , शहीद उधम सिंह (2000) तथा सरदार उधम (२०२१)।
- उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले का नाम उन्ही के नाम पर रखा गया है।
- पंजाब और हरियाणा में उनके मृत्यु दिन पर सार्वजानिक छुट्टी होती है।
उधम सिंह जयंती दिवस – Birth Anniversary of Udham Singh
हर साल देश भर में शहीद क्रांतिकारी उधम सिंह की जयंती मनाई जाती है, जिस दिन उनकी सच्ची राष्ट्रभक्ति, देश पर बलिदान तथा समर्पण को नमन कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है। जलियाँवाला बाग में उधम सिंह की याद में बने स्मारक स्थल पर लोग उनके प्रति अपनी निष्ठा और उनके कार्य को याद कर देश के साहसी और वीर क्रांतिकारी के प्रति हर साल अपनी संवेदना प्रकट करते है। यह दिन हर साल २६ दिसंबर को होता है, जहाँ देश के महान सपूत के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में देश के हर कोने में जयंती दिवस मनाया जाता है।
उधम सिंह के बारे में अधिकतर बार पूछे जाने वाले सवाल – Frequently Asked Questions About Udham Singh
जवाब: २६ दिसम्बर के दिन।
जवाब: जलियाँवाला बाग नरसंहार के प्रमुख आरोपी मायकेल ओ’डायर (ओडवायर) की इंग्लैंड में जाकर हत्या करने के मामले में उधम सिंह को ब्रिटिश सरकार के तरफ से फाशी की सजा सुनाई गई थी, इसके चलते उन्हे फाँसी दी गई थी जिसमे उनकी मृत्यु हुई थी।
जवाब: ३१ जुलाई १९४० को।
जवाब: सरदार उधम सिंह भारत के महान युवा क्रन्तिकारी थे जिन्होंने जलियाँवाला बाग में हुए नरसंहार का बदला लेने हेतु इंग्लैंड में जाकर मुख्य दोषी मायकेल ओ डायर की हत्या की थी। इसके अलावा उधम सिंह ग़दर संघठन के साथ साथ क्रांतिकारी संघठन हिंदुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन असोसिएशन के सदस्य भी थे। उधम सिंह कामगार संघठन के भी सक्रीय सदस्य थे तथा उनपर भगत सिंह के विचारो का काफी ज्यादा प्रभाव था। भारतीय इतिहास में उधम सिंह को महान शहीद क्रांतिकारी के रूप में जाना जाता है।
जवाब: ३१ जुलाई को।
जवाब: मायकेल ओ डायर (ओडवायर), उधम सिंह ने इंग्लैंड में जाकर मायकेल ओडवायर की हत्या की थी।
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