Chhota Rajan – छोटा राजन (जूनियर राजन) में के अपराधी जगत का बादशाह है। मर्डर, धोखाधड़ी, स्मगलिंग, ड्रग ट्रैफिकिंग और फिल्म फाइनेंस के बहुत से केस छोटा राजन पर दर्ज हो चुके है।
अपराधी जगत का बादशाह “छोटा राजन” की कहानी – Chhota Rajan History in Hindi
80 के दशक में अरुण गवली और दावूद की गैंग के बीच हुए गैंग वॉर में 1989 में राजन भी दुबई फरार हो गया और परिणामस्वरूप 1993 में उनके बीच हुए बटवारे से पहले वह दावूद इब्राहीम का राईट हैण्ड बन गया था। लेकिन बटवारे के बाद उसने अपनी खुद की एक गैंग बनाई और दावूद की डी-कंपनी का विरोध किया।
साथ ही 17 मर्डर और बहुत से मर्डर करने की कोशिश करने के आरोप में वह वांटेड है। कहा जाता है की राजन सामाजिक संस्था “सह्याद्री क्रीडा मंडल” को आर्थिक सहायता भी करता था, यह संस्था हर साल तिलकनगर में गणेश उत्सव का आयोजन करती थी।
क्रिमिनल करियर – Criminal career:
राजन का जन्म महाराष्ट्र के मुंबई शहर के चेम्बूर इलाके के तिलकनगर में मराठी बुद्धिस्ट परिवार में हुआ था। अपने प्रारंभिक दिनों में वे सिनेमा टिकट बेचा करते थे और यही से 1980 में सिनेमा टिकटों की कालाबाजारी कर उसने अपने क्रिमिनल करियर की शुरुवात की थी।
इसके बाद वह बड़ा राजन और हैदराबाद के यादगिरी से मिला, तिलकनगर में रहते हुए, मुंबई के चेम्बूर में कम आय वाले लोगो के समूह में राजन सहकार सिनेमा में सिनेमा टिकट को ब्लैक में बेचता था। पुलिस कांस्टेबल पर हमला करने के आरोप के बाद जेल से रिहा होने के बाद 1982 में वह बड़ा राजन की गैंग में शामिल हो गया। और जब बड़ा राजन को मार दिया गया, तब गैंग का पूरा कारोबार छोटा राजन ने अपने हात में ले लिया और मुंबई में रहते हुए दुबई भाग चुके दावूद इब्राहीम के लिए काम करता था।
गवली के बड़े भाई पापा गवली की एक ड्रग डील में हत्या कर दी गयी और इससे इनके बीच दरार भी पड़ गयी। इसके बाद राजन दुबई चला गया, जबकि उसका परिवार तब भी मुंबई में ही रह रहा था। इसके बाद वो कभी लौटकर वापिस नही आया। 1993 में हुई मुंबई बमबारी के बाद दावूद और छोटा राजन दोनों ही भारत से फरार हो चुके थे। इसके बाद दावूद के मुंबई अंडरवर्ल्ड में स्थापित नेटवर्क को लेकर पुलिस में काफी रिसर्च भी किया और रिपोर्ट्स भी बनवाई। लेकिन अंत में दावूद-राजन की जोड़ी का अंत हो ही गया, जब सितम्बर 2000 में शकील ने राजन के बैंकाक होटल रूम में उसपर हमला किया था।
26 अक्टूबर 2015 को राजन को बाली में पकड़ा गया। ऑस्ट्रेलियाई पुलिस से आगाह किये जाने के बाद ही इन्डोनेशियाई अधिकारियो ने निकल्जे उर्फ़ छोटा राजन को सिडनी से बाली आते समय पकड़ लिया था।
उस समय सीबीआई डायरेक्टर अनिल सिन्हा ने उनकी गिरफ़्तारी पर कहा था की, “सीबीआई की इंटरपोल द्वारा की गयी प्रार्थना के बाद बाली पुलिस ने कल छोटा राजन को गिरफ्तार कर लिया।”
निजी जिंदगी :
छोटा राजन की तीन बेटियाँ है : अंकिता निकल्जे, निकिता निकल्जे और ख़ुशी निकल्जे। उनका छोटा भाई दीपक निकल्जे, एम.पी. रामदास आठवले की रिपब्लिकन पार्टी से जुड़ा हुआ था।
छोटा राजन को उनके दोस्त और साथी “नाना” कहकर बुलाते थे।
सिनेमा :
2002 की बॉलीवुड फिल्म कंपनी में चंदू नाम का एक पात्र था, जिसका किरदार अभिनेता विवेक ओबेरॉय ने निभाया था। कहा जाता है की यह फिल्म छोटा राजन के जीवन से ही प्रभावित थी, जिसमे छोटा राजन और दावूद इब्राहीम के गैंग को दुश्मनी को दर्शाया गया है। साथ ही 1999 की फिल्म वास्तव भी राजन के जीवन पर ही आधारित थी, जिसमे उनका किरदार संजय दत्त ने निभाया था।
दावूद के साथ अन-बन :
अन-बन के बाद राजन ने अपनी खुद की गैंग बनाना शुरू की। कहा जाता है की दावूद और छोटा राजन के बीच हुए विभाजन के बाद दोनों गैंग के बीच में आए दिन शूटआउट होना आम बात बन चुकी थी। इसके बाद 1994 में छोटा राजन ने दावूद के पसंदीदा नार्को टेररिस्ट फिल्लू खान उर्फ़ बख्तियार अहमद खान को बैंकाक के ही एक होटल रूम में मार गिराया और मंगेश पवार को भी खूब मारा।
फिल्लू और मंग्या दोनों ही 1993 के मुंबई बम ब्लास्ट में शामिल थे और उनके खिलाफ 15 मार्च 1993 को केस भी दर्ज किया गया।
हत्या की कोशिश :
सितम्बर 2000 में दावूद ने मुंबई में स्थित अपने साथी विनोद और ए. मिश्रा की सहायता से बैंकाक में ही राजन को खोज निकाला। इसके बाद पिज़्ज़ा डिलीवरी बॉय बनकर राजन के होटल उसे मारने निकल पड़े। लेकिन राजन को मारने में वे असफल हुए और राजन हिम्मत करके होटल से भागने में सफल हुआ। इसके बाद उसे दोबारा हॉस्पिटल में देखा गया लेकिन वहाँ से भी छोटा राजन भागने में सफल हुआ।
दावूद ने भी इस आक्रमण की टेलीफोन से रीडिफ़.कॉम पर यह करते हुए पुष्टि की के राजन खिड़की से कूदकर भागने में सफल हुआ। लेकिन फिर भी पहले माले पर उसे पकड़कर उसपर आक्रमण किया गया था। और फिर बाद में उसे हॉस्पिटल ले जाया गया।
हत्या करने की यह असफल कोशिश दावूद के लिए काफी महँगी साबित हुई। इसके बाद छोटा राजन ने 2001 में मुंबई में विनोद को मार डाला और फिर दावूद के एक और साथी सुनील सोँस को भी राजन ने बेरहमी से मार डाला। इन दोनों ने ही दावूद को राजन के रहने की खबर दी थी।
लेकिन फिर भी विनोद और सुनील का मौत का ज्यादा असर दावूद की डी-कंपनी पर नही पड़ा। तभी 19 जनवरी 2003 को छोटा राजन के साथी शरद की छोटा राजन ने गोली मारकर हत्या कर दी। शरद, दुबई के इंडिया क्लब में दावूद का मुख्य फाइनेंस मेनेजर था। इस हत्या के बाद दावूद और राजन के बीच ताकतों का भी बटवारा होने लगा। इसके बाद दोनों ही एक दुसरे की गैंग को मारने लगे थे और मुंबई के अंडरवर्ल्ड का बेताज बादशाह बनना चाहते थे। जबकि इंटेलिजेंस की रिपोर्ट के अनुसार शरद की मौत के बाद दावूद की डी-कंपनी को सबसे बड़ा झटका लगा, क्योकि दावूद और उसकी कंपनी दोनों की फाइनेंसियल जानकारी और पैसो के व्यवस्थापन का जिम्मा शरद पर ही था। इस झटके से दावूद कभी उबर नही पाया।
गिरफ़्तारी :
25 अक्टूबर 2015 को, छोटा राजन को बाली, इंडोनेशिया में पकड़ा गया। जहाँ भारतीय अधिकारियो ने इंटरपोल से कांटेक्ट कर उसे भारत बुला लिया। ऑस्ट्रेलियाई पुलिस द्वारा दी गयी जानकारी के आधार पर ही इंडोनेशिया पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया था। उस समय छोटा राजन ने मोहन कुमार नाम का भारतीय पासपोर्ट बनवा रखा था। सीबीआई सूत्रों के अनुसार जब इमीग्रेशन अधिकारियो ने उससे अपना नाम बताने के लिए कहा तो अंडरवर्ल्ड डॉन एअरपोर्ट पर एक कतार में खड़े हो गये थे। लेकिन यहाँ छोटा राजन ने एक गलती कर दी, नाम पूछते ही उसने सबसे पहला राजेंद्र सदाशिव निकल्जे बताया और फिर माफ़ी मांगकर मोहन कुमार बताया, जो उसके पासपोर्ट पर लिखा हुआ था। इससे अधिकारी सतर्क हो गये और अधिकारियो ने उससे प्रश्न पूछना शुरू किए। इसके बाद अधिकारियो ने छानबीन शुरू की और इसके लिए उन्होंने छोटा राजन के फिंगरप्रिंट भी लिए। 18 में 11 फिंगर प्रिंट भारत सरकार द्वारा दी गयी प्रिंट से मैच कर गये थे।
इसके बाद सवाल जवाब का सिलसिला ख़त्म हुआ और यह साबित हो गया की वह मोहन कुमार नही बल्कि छोटा राजन ही है। छोटा राजन को गिरफ्तार करने में ऑस्ट्रेलियाई और इन्डोनेशियाई पुलिस ने साथ मिलकर काम किया और अंत में उसे गिरफ्तार करने में सफल रही। गिरफ्तार होने के 12 दोनों बाद ही राजन को भारत लाया गया और फ़िलहाल वह सीबीआई कस्टडी में है। 25 अप्रैल 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने राजन पर 8 केस दर्ज किये और उसे अवैध पासपोर्ट बनाने के जुर्म में भी दोषी करार दिया और जेल भेज दिया गया।
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