Motivational Poems
जीवन में हर किसी को असफ़लता का सामना करना पड़ता हैं, लेकिन असफ़ल होने के बाद भी जो अपना प्रयास जारी रखता हैं वही असली सफल इन्सान बनता हैं, परन्तु असफ़लता से हारे हुए इन्सान को कुछ प्रेरणादायक शब्द मील जाते हैं तो उसे निराशा से निकलने की शक्ति मिलती हैं।
आज के दौर में बहुत कम ही लोग ऐसे होते हैं, जो कि दूसरे की सफलता और आगे बढ़ने के बारे में सोचते हैं और दूसरों को खुश देखकर अच्छा महसूस करते है, नहीं तो ज्यादातर लोग सामने वाले को नीचा दिखाने और खुद को सर्वश्रेष्ठ दिखाने की कोशिश में ही लगे रहते हैं।
ऐसे में व्यक्ति के अंदर नकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और प्रेरणा का अभाव हो जाते है, क्योंकि किसी भी व्यक्ति को सफल बनाने के लिए मोटिवेशन और उत्साह बढ़ाने की जरूरत होती है।
ऐसे में इस तरह की कविताएं व्यक्ति के अंदर आगे बढ़ने का जज्बा पैदा कर सकती हैं और उसे सफल एवं खुशहाल बनाने में उसकी मद्द कर सकती हैं। ऐसेही कुछ महान कवियों ने कविताओं के जरिये हमारे लिए कुछ प्रेरणादायक शब्द लिखे हैं वही प्रेरणादायक कविताओं संग्रह – Motivational Poems आज हम आपके साथ शेअर करेंगे –
कुछ प्रेरणादायक कविताओं का संग्रह – Motivational Poems in Hindi
Agneepath Motivational Poem
अग्निपथ
वृक्ष हों भले खड़े,
हों बड़े, हों घने,
एक पत्र छाँह भी
मांग मत! मांग मत! मांग मत!
अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!
तू न थकेगा कभी,
तू न थमेगा कभी,
तू न मुड़ेगा कभी,
कर शपथ! कर शपथ! कर शपथ!
अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!
यह महान दृश्य है,
देख रहा मनुष्य है,
अश्रु, स्वेद, रक्त से
लथ-पथ, लथ-पथ, लथ-पथ,
अग्निपथ! अग्निपथ! अग्निपथ!
—हरिवंशराय बच्चन – Harivansh Rai Bachchan
Girna Bhi Acha Hai Motivational Poem
गिरना भी अच्छा है
“गिरना भी अच्छा है,
औकात का पता चलता है…
बढ़ते हैं जब हाथ उठाने को…
अपनों का पता चलता है!
जिन्हे गुस्सा आता है,
वो लोग सच्चे होते हैं,
मैंने झूठों को अक्सर
मुस्कुराते हुए देखा है…
सीख रहा हूँ मैं भी,
मनुष्यों को पढ़ने का हुनर,
सुना है चेहरे पे…
किताबो से ज्यादा लिखा होता है…!”
—अमिताभ बच्चन – Amitabh Bachchan
Koshish Karne Walon Ki Motivational Poem
दुनिया में कुछ ऐसे लोग होते हैं जो कि अपनी जिंदगी में सफलता तो हासिल करना चाहते हैं, लेकिन इसके लिए कोशिश नहीं करते हैं और न ही मेहनत करते हैं। ऐसे लोगों को सफलता कभी हाथ नहीं लगती है।
क्योंकि किसी बुद्धिमान व्यक्ति ने अपनी कविता के माध्यम से समझाया है कि अगर सच्चे मन से अपने लक्ष्य को पाने की कोशिश की जाए तो व्यक्ति कठिन से कठिन रास्ते को भी आसानी से पार कर सकता है और अपनी जिंदगी में सफलता हासिल कर सकता है, क्योंकि कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती है।
वहीं कवि ने अपनी कविता के माध्यम से व्यक्ति को एक नन्हीं सी चीटी का उदाहरण देकर समझाने की कोशिश की है कि जिस तरह चीटी अपना दाना लेकर दीवारों पर चढ़ती है और बार-बार फिसलने के बाबाजूद भी विश्वास के साथ आगे बढ़ती है, अपनी मंजिल को पाती है, उसी तरह अपने लक्ष्य को पाने के लिए सही तरीके से कोशिश की जाए तो हर कोई अपने सपनों को पूरा कर सकता है।
कोशिश करने वालों की
लहरों से डर कर नौका पार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
नन्हीं चींटी जब दाना लेकर चलती है,
चढ़ती दीवारों पर, बार बार फिसलती है।
मन का विश्वास रगों में साहस भरता है,
चढ़कर गिरना, गिरकर चढ़ना न अखरता है।
आख़िर उसकी मेहनत बेकार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
डुबकियां सिंधु में गोताखोर लगाता है,
जा जा कर खाली हाथ लौटकर आता है।
मिलते नहीं सहज ही मोती गहरे पानी में,
बढ़ता दुगना उत्साह इसी हैरानी में।
मुट्ठी उसकी खाली हर एक बार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
असफलता एक चुनौती है, इसे स्वीकार करो,
क्या कमी रह गई, देखो और सुधार करो।
जब तक न सफल हो, नींद चैन को त्यागो तुम,
संघर्ष का मैदान छोड़ कर मत भागो तुम।
कुछ किये बिना ही जय जय कार नहीं होती,
कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती।
–हरिवंशराय बच्चन – Harivansh Rai Bachchan
Chal Tu Akela Motivational Poem
चल तू अकेला!
तेरा आह्वान सुन कोई ना आए, तो तू चल अकेला,
चल अकेला, चल अकेला, चल तू अकेला!
तेरा आह्वान सुन कोई ना आए, तो चल तू अकेला,
जब सबके मुंह पे पाश..
ओरे ओरे ओ अभागी! सबके मुंह पे पाश,
हर कोई मुंह मोड़के बैठे, हर कोई डर जाय!
तब भी तू दिल खोलके, अरे! जोश में आकर,
मनका गाना गूंज तू अकेला!
जब हर कोई वापस जाय..
ओरे ओरे ओ अभागी! हर कोई बापस जाय..
कानन-कूचकी बेला पर सब कोने में छिप जाय…
– रवीन्द्रनाथ टैगोर – Rabindranath Tagore
Neer Bhari Dukh ki Badli Motivational Poems
कहते हैं कि ना बुरे वक्त में ही अपनों और परायों का पता चलता है। वहीं इस आर्टिकल में दी गई कविता ”गिरना भी अच्छा है” में कवि ने यही समझाने की कोशिश की है कि इंसान का गिरना और असफल होना भी जरूरी है, अन्यथा उसे कभी यह नहीं पता चल सकेगा कि कौन लोग उसके अपने हैं और कौन लोग पराए।
इसी तरह महान कवि हरिवंशराय बच्चन जी की कविता ”अग्निपथ” भी व्यक्ति को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है। उन्होंने अपनी इस कविता के माध्यम से पाठकों को यह समझाने की कोशिश की है कि व्यक्ति को हर परिस्थति का डटकर सामना करना चाहिए एवं एक दृढनिश्चयी होकर अपने कर्तव्यपथ पर आगे बढ़ना चाहिए।
इसी तरह महान लेखक रवीन्द्र कुमार ठाकुर जी द्धारा लिखी गई कविता” चल तू अकेला” में भी कवि ने यह बताने की कोशिश की है कि व्यक्ति को किसी पर आश्रित नहीं होना चाहिए, बल्कि खुद से ही अपना रास्ता बनाना चाहिए और उस पर निडर होकर आगे बढ़ना चाहिए।
नीर भरी दुख की बदली
मैं नीर भरी दु:ख की बदली!
स्पंदन में चिर निस्पंद बसा,
क्रन्दन में आहत विश्व हंसा,
नयनों में दीपक से जलते,
पलकों में निर्झरिणी मचली!
मेरा पग-पग संगीत भरा,
श्वासों में स्वप्न पराग झरा,
नभ के नव रंग बुनते दुकूल,
छाया में मलय बयार पली,
मैं क्षितिज भॄकुटि पर घिर धूमिल,
चिंता का भार बनी अविरल,
रज-कण पर जल-कण हो बरसी,
नव जीवन अंकुर बन निकली!
पथ को न मलिन करता आना,
पद चिन्ह न दे जाता जाना,
सुधि मेरे आगम की जग में,
सुख की सिहरन बन अंत खिली!
विस्तृत नभ का कोई कोना,
मेरा न कभी अपना होना,
परिचय इतना इतिहास यही
उमड़ी कल थी मिट आज चली!
– महादेवी वर्मा – Mahadevi Verma
Sindhu Me Jwar Motivational Poem
सिन्धु में ज्वार
आज सिन्धु में ज्वार उठा है , नगपति फिर ललकार उठा है,
कुरुक्षेत्र के कण-कण से फिर, पांञ्चजन्य हुँकार उठा है।
शत – शत आघातों को सहकर जीवित हिन्दुस्थान हमारा,
जग के मस्तक पर रोली-सा, शोभित हिन्दुस्थान हमारा।
दुनिया का इतिहास पूछता, रोम कहाँ, यूनान कहाँ है?
घर-घर में शुभ अग्नि जलाता , वह उन्नत ईरान कहाँ है?
दीप बुझे पश्चिमी गगन के , व्याप्त हुआ बर्बर अँधियारा ,
किन्तु चीरकर तम की छाती , चमका हिन्दुस्थान हमारा।
हमने उर का स्नेह लुटाकर, पीड़ित ईरानी पाले हैं,
निज जीवन की ज्योत जला , मानवता के दीपक वाले हैं।
जग को अमृत घट देकर, हमने विष का पान किया था,
मानवता के लिए हर्ष से, अस्थि-वज्र का दान दिया था।
जब पश्चिम ने वन-फल खाकर, छाल पहनकर लाज बचाई ,
तब भारत से साम-गान का स्वर्गिक स्वर था दिया सुनाई।
अज्ञानी मानव को हमने, दिव्य ज्ञान का दान दिया था,
अम्बर के ललाट को चूमा, अतल सिन्धु को छान लिया था।
साक्षी है इतिहास प्रकृति का,तब से अनुपम अभिनय होता है,
पूरब में उगता है सूरज, पश्चिम के तम में लय होता हैं।
विश्व गगन पर अगणित गौरव के, दीपक अब भी जलते हैं,
कोटि-कोटि नयनों में स्वर्णिम, युग के शत सपने पलते हैं।
किन्तु आज पुत्रों के शोणित से, रंजित वसुधा की छाती,
टुकड़े-टुकड़े हुई विभाजित, बलिदानी पुरखों की थाती।
कण-कण पर शोणित बिखरा है, पग-पग पर माथे की रोली,
इधर मनी सुख की दीवाली, और उधर जन-जन की होली।
मांगों का सिंदूर, चिता की भस्म बना, हां-हां खाता है,
अगणित जीवन-दीप बुझाता, पापों का झोंका आता है।
तट से अपना सर टकराकर, झेलम की लहरें पुकारती,
यूनानी का रक्त दिखाकर, चन्द्रगुप्त को है गुहारती।
रो-रोकर पंजाब पूछता, किसने है दोआब बनाया,
किसने मंदिर-गुरुद्वारों को, अधर्म का अंगार दिखाया?
खड़े देहली पर हो, किसने पौरुष को ललकारा,
किसने पापी हाथ बढ़ाकर माँ का मुकुट उतारा।
काश्मीर के नंदन वन को, किसने है सुलगाया,
किसने छाती पर, अन्यायों का अम्बार लगाया?
आंख खोलकर देखो! घर में भीषण आग लगी है,
धर्म, सभ्यता, संस्कृति खाने, दानव क्षुधा जगी है।
हिन्दू कहने में शर्माते, दूध लजाते, लाज न आती,
घोर पतन है, अपनी माँ को, माँ कहने में फटती छाती।
जिसने रक्त पीला कर पाला , क्षण-भर उसकी ओर निहारो,
सुनी सुनी मांग निहारो, बिखरे-बिखरे केश निहारो।
जब तक दु:शासन है, वेणी कैसे बंध पायेगी,
कोटि-कोटि संतति है, माँ की लाज न लुट पायेगी।
– अटल बिहारी वाजपेयी – Atal Bihari Vajpayee
Pushp ki Abhilasha Motivational Poems
प्रेरणात्मक कविताओं के संग्रह में हम आपको अपने इस लेख में हिन्दी की महान कवियित्री द्धारा लिखी ”नींद भरी दुख की बदली” कविता भी उपलब्ध करवा रहे हैं, जिसके माध्यम से उन्होंने पाठकों को उनके जीवन में आगे बढऩे की प्ररेणा दी है।
इसके अलावा भारतीय राजनीति पर अपनी अमिट छाप छोड़ने वाले स्वर्गीय राजनेता श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्धारा लिखित ”सिंधु में ज्वार” कविता भी उपलब्ध करवा रहे हैं, जो कि हिन्दुस्तान की शान का खूबसूरती से बखान कर रहे हैं।
इसके अलावा कवि माखनलाल चर्तुवेदी की कविता ”पुष्प की अभिलाषा” भी उपलब्ध करवा रहे हैं, जो कि मातृभूमि के प्रति सम्मान और कुछ कर दिखाने का भाव प्रकट कर रही है।
पुष्प की अभिलाषा
चाह नहीं मैं सुरबाला के,
गहनों में गूँथा जाऊँ,
चाह नहीं प्रेमी-माला में,
बिंध प्यारी को ललचाऊँ,
चाह नहीं, सम्राटों के शव,
पर, हे हरि, डाला जाऊँ
चाह नहीं, देवों के शिर पर,
चढ़ूँ भाग्य पर इठलाऊँ!
मुझे तोड़ लेना वनमाली!
उस पथ पर देना तुम फेंक,
मातृभूमि पर शीश चढ़ाने
जिस पथ जाएँ वीर अनेक।
– माखनलाल चतुर्वेदी – Makhanlal Chaturvedi
दोस्तों, मैं आशा करता हु की आपको यह मेरा प्रयास पसंद आया होंगा, और सभी कविताएँ आपको प्रेरणादायक लगी होगी और इन कविताओं से आप प्रेरित भी हुए होंगे। मैं आपके लिए आगे कुछ और चुनिन्दा Motivational Poem लेकर आऊंगा Comment के माध्यम से सुझाव जरुर दे।
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इस प्रकार की रचनाएं मुझे बहुत आकर्षित करती हैं। बेहतरीन सर जी
Nice very helpful to me
Very great sir
Poem is absolute