My Aim In Life Essay
हर किसी के जीवन के लक्ष्य अलग-अलग होते हैं, कोई किसी क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहता है तो कोई किसी क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का जौहर दिखाना चाहता है और नाम कमाना चाहता है, अर्थात लक्ष्य के द्धारा ही व्यक्ति एक सुखी जीवन का आनंद ले सकता है।
वहीं लक्ष्य एक अतिमहत्वपूर्ण विषय है, जिस पर कई बार स्कूलों में आयोजित निबंध प्रतियोगिता में अथवा क्लास में बच्चों को “मेरे जीवन का लक्ष्य” पर निबंध (My Aim In Life Essay) लिखने के लिए कहा जाता है, इसलिए आज हम आपको अपने इस आर्टिकल में ‘मेरे जीवन का लक्ष्य’ पर अलग-अलग शब्दों में निबंध उपलब्ध करवा रहे हैं, जो कि इस प्रकार है –
“मेरे जीवन का लक्ष्य” पर निबंध नंबर – My Aim In Life Essay
जाहिर है कि इस दुनिया में हर व्यक्ति की सोच और उसका लक्ष्य अलग होता है। कोई एक आदर्श शिक्षक बनकर शिक्षित समाज का निर्माण कर देश का कल्याण करना चाहता है, तो कोई इंजीनियर बनकर बड़ी-बड़ी इमारतें खड़ी करना चाहता है, तो कोई समाजसेवी बनकर समाज में फैली कुरोतियों को दूर करना चाहता है और जरूरतमंदों और असहायों की मद्द करना चाहता है।
सभी अपने सामर्थ्य और क्षमता के मुताबिक ही अपने-अपने लक्ष्यों का निर्धारण करते हैं, वैसे ही मैं जब भी किसी रोगी को दर्द से कराहता देखता हूं, या फिर जब किसी अस्वस्थ व्यक्ति की पीड़ा समझने की कोशिश करता हूं, तो अक्सर मेरे दिल और दिमाग में यही ख्याल आता है कि काश मै डॉक्टर होता तो इसकी मद्द कर पाता।
इसलिए मैने यह संकल्प लिया है कि मै डॉक्टर बनने के लिए पूरा प्रयास करूंगा और अपनी क्षमता शक्ति से अधिक मेहनत करूंगा ताकि मै एक सफल डॉक्टर बन सकूं।
आपको बता दूं कि मेरा अन्य लोगों की तरह डॉक्टर बनकर सिर्फ नोट छापने का कोई उद्देश्य नहीं है, बल्कि मैं डॉक्टर बनकर गंभीर रोगों से लड़ रहे गरीब और असहाय लोगों के काम आना चाहता हूं और एक स्वस्थ भारत के निर्माण में अपना सहयोग देना चाहता हूं।
वहीं कई लोग पैसे के अभाव में और कुछ मजबूरियों के चलते डॉक्टर की डिग्री हासिल नहीं कर सकते, लेकिन मैं अक्सर यही सोचता हूं कि अगर मै डॉक्टर बनने का निश्चय किया है तो किसी भी हालत में अपने लक्ष्य को पाकर ही रहूंगा और रोगों से लड़ रहे लोगों के जीवन को सुरक्षित बनाऊंगा, इसके साथ ही पीडि़त लोगों को उनके रोगों को दूर भगाने के लिए सही सलाह दूंगा। साथ ही उन्हें यह भी बताऊंगा कि वे कैसे स्वस्थ जीवन जीएं।
उपसंहार –
जाहिर है कि ज्यादातर लोग अपने जीवन में बड़े-बड़े सपने देखते हैं और लक्ष्यों का निर्धारण करते हैं, लेकिन कुछ चुनिंदा लोग ही ऐसे होते हैं, जो अपने लक्ष्यों को पाने के लिए निरंतर कोशिश करते हैं, ऐसे लोग ही अपने लक्ष्यों का आसानी से हासिल कर लेते हैं।
इसलिए हमें अपने जीवन के लक्ष्यों का निर्धारण करना चाहिए साथ ही इसे पाने के लिए निरंतर कोशिश भी करते रहना चाहिए। तभी हमारा जीवन सार्थक हो सकेगा।
Essay on Mere Jeevan ka Lakshya in Hindi
लक्ष्य को रखने वाला मनुष्य ही अपने जीवन में सही रास्ते पर चल सकता है और अपने परिवार और देश के विकास में सहयोग कर सकता है, वहीं लक्ष्यविहीन मनुष्य उस गेंदबाज की तरह होते हैं, जो गेंद तो फेंकते हैं लेकिन उसने सामने विकेट नहीं होते।
ऐसे मनुष्य को न तो समाज में कोई दर्जा मिलता है और न ही वह अपने जीवन में कभी आगे बढ़ सकता है, इसलिए हर किसी को अपने जीवन में लक्ष्यों का निर्धारण करना चाहिए। वैसे ही मैं भी अक्सर एक शिक्षक बनने के बारे में सोचता हूं, और एक आदर्श शिक्षक बनना ही मेरे जीवन का लक्ष्य है-
मेरे जीवन का लक्ष्य –
मेरे जीवन का लक्ष्य एक शिक्षक बनना है – जाहिर है कि एक शिक्षक, समाज और देश के विकास में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और विद्यार्थियों का सही मार्गदर्शन कर उसे अपने जीवन के लक्ष्यों को हासिल करने के काबिल बनाता है।
इसके साथ ही शिक्षक, शिष्य के अंदर सोचने-समझने की शक्ति विकसित करते हैं, और उन्हें अपने जीवन में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं, वहीं आज मै भी अपने टीचर की बदौलत ही इस काबिल बन पाया हूं कि अपने जीवन के लक्ष्यों का निर्धारण कर सकूं।
वहीं हो सकता है कि कुछ लोग मेरे शिक्षक बनने के इस लक्ष्य को छोटा समझें लेकिन अगर मुझे एक आदर्श शिक्षक बनने का मौका मिला तो यह मेरे लिए बहुत गर्व और सम्मान की बात होगी, क्योंकि मैं शिक्षक बनकर कई छात्रों का सही मार्गदर्शन कर उनके भविष्य को संवारना चाहता हूं, और विकसित राष्ट्र की नींव रखना चाहता हूं।
क्योंकि एक शिक्षक बनकर ही समाज और राष्ट्र के हित के लिए काम किया जा सकता है, शिक्षक, समाज को एक नई दिशा देता है, और विद्यार्थियों को एक नया जीवन प्रदान करता है, इसलिए शिक्षक को भगवान से ऊंचा दर्जा दिया गया है, वहीं इस संदर्भ में कबीर जी का यह दोहा भी काफी प्रसिद्ध है –
गुरु गोबिन्द दोनों खड़े, काके लागू पाय बलिहारी,
गुरु आपने, जिन गोबिन्द दियो बताय॥
इसके अलावा भी कई महान कवियों और महान पुरुषों ने शिक्षकों के महत्व को अपने विचारों के माध्यम से व्यक्त किया है। जिसके बारे में गंभीरता से सोचते हुए मैने भी शिक्षक बनने का प्रण लिया है।
एक आदर्श शिक्षक बनने के लिए मै निरंतर प्रयासरत रहता हूं और मैं इसके लिए हिन्दी विषय से पीएचडी की पढ़ाई भी करना चाहता हूं, मै छात्रों को हिन्दी विषय के पूरी जानकारी देना चाहता हूं और मैं इसके हिन्दी साहित्य से लेकर व्याकरण तक का ज्ञान देना चाहता हूं।
इसके साथ ही छात्र-छात्राओं को उनके कर्तव्यों का बोध करवाना चाहता हूं। और एक आदर्श शिक्षक बनकर समाज में अपनी एक अलग पहचान बनाना चाहता हूं।
वहीं कुछ लोग ऐसे भी होते हैं कि शिक्षक बनकर सिर्फ चंद पैसे कमाना चाहते हैं, और विद्यार्थियों का सही मार्गदर्शन नहीं करते हैं, मैं इस तरह का शिक्षक बिल्कुल भी नहीं बनना चाहता हूं।
आपको बता दूं कि मेरे जीवन का लक्ष्य एक ऐसा शिक्षक बनना है, जो देश और समाज के कल्याण में काम आ सके और विद्यार्थियों के भविष्य को सुनहरा बना सके।
उपसंहार
शिक्षक को समाज में सबसे ऊंचा दर्जा दिया गया है, क्योंकि शिक्षक ही किसी भी व्यक्ति का उसके जीवन के लक्ष्यों को हासिल करने में मद्द करता है, और उसके अंदर सामाजिक, मानसिक, आध्यात्मिक ज्ञान देता है। इसलिए मेरे जीवन का लक्ष्य एक आदर्श शिक्षक बनना है।
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