बसरा मंदिर – Basara Temple
बसरा में स्थित श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर के मंदिर को बसरा मंदिर के नाम से जानते हैं। बसरा का मंदिर देश के अन्य मंदिरो से बिलकुल अलग है। गोदावरी नदी के तट पर स्थित यह मंदिर विद्या की देवता का मंदिर है।
किसी भी बच्चे की पढाई शुरू करनेसे पहले उसे इस मंदिर के देवता के दर्शन करने के लिए लाया जाता है और अक्षर पूजा करने के बाद में उसकी शिक्षा शुरू की जाती है। पुरे दक्षिण भारत में ऐसा मंदिर केवल बसरा में ही स्थित है। दूर दूर से लोग अपने बच्चो को बसरा मंदिर में लेकर आते है।
बसरा मंदिर का इतिहास – Basara Temple
महाभारत काव्य के निर्माता महर्षि व्यास के अनुसार कुरुक्षेत्र युद्ध समाप्त होने पर खुद महर्षि व्यास और उनके शिष्य ऋषि विश्वामित्र के साथ में इस परिसर में रहने के लिए आये थे। वह सभी दंडकारण्य जंगल में ध्यान करने के लिए आये थे।
जब उन्होंने गोदावरी नदी के तट पर ध्यान किया तो उन्हें इस बात का अहसास हुआ की यह जगह बहुत शांत है।
यहापर आने के बाद में देवी सरस्वती ने महर्षि व्यास को दर्शन दिए और उनसे तीनो देवियों महा सरस्वती, महालक्ष्मी और महाकाली के लिए मंदिर बनाने को कहा था। महर्षि वेद व्यास ने वहा से कुछ रेत ली और उनसे तीनो देवियो की मुर्तिया बनायीं।
यहा पर मंदिर बनाने के बाद महर्षि वेद व्यास उनका ज्यादातर समय देवियों की प्रार्थना और पूजा करने में ही लगा देते थे और उसी वजह से ही इस स्थान को ‘वासरा’ नाम से भी जाना जाता है। इस प्रदेश के लोग मराठी भाषा बोलते है इसीलिए वासरा शब्द धीरे धीरे बसरा में बदल गया।
इस बसरा के ज्ञान सरस्वती मंदिर में ‘अक्षराभ्यासम’ की शुरुवात करने के लिए साल के कुल चार दिन बहुत ही महत्वपूर्ण माने जाते है। यहापर वसंत पंचमी जिसे श्री पंचमी दिन भी कहा जाता है और यह माघ महीने में अमावस्या के बाद पाचवे दिन आती है।
इस पंचमी के अवसर पर देवी सरस्वती की पूजा की जाती है और बाद में बच्चे की पढाई लिखाई शुरू की जाती है। अक्षराभ्यासम शुरू करने के लिए विजयादशमी का दिन भी काफी शुभ माना जाता है।
तीसरा जो महत्वपूर्ण दिन है जिस दिन ‘अक्षराभ्यासम’ की शुरुवात की जा सकती वह है व्यास पौर्णिमा(गुरु पौर्णिमा) और यह आषाढ़ महीने में आती है। इस दिन महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था। श्रावण पौर्णिमा (राखी पौर्णिमा) के दिन भी इस मंदिर में ‘अक्षराभ्यासम’ की शुरुवात करने के लिए बच्चो को इस मंदिर में लाया जाता है।
इस मंदिर में देवी सरस्वती, महालक्ष्मी और महाकाली के मंदीर भी है। साल में चार दिन बहुत अच्छे माने जाते है और लोग अपने बच्चो को लेकर इन दिनों के अवसर पर लाने की पूरी कोशिश करते है। यह साल के चार दिन काफी पवित्र माने जाते है इसलिए इन चार दिनों में यहापर लोगो की बड़ी भीड़ लगी रहती है।
वसंत पंचमी, विजयादशमी, व्यास पौर्णिमा और श्रावण पौर्णिमा यही साल के चार दिन है जिस दिन बच्चो को इस मंदिर में लाया जाता है और पूरी विधि होने के बाद ही बच्चो की शिक्षा शुरू की जाती है।
More on Temples Information:
Hope you find this post about ” Basara Temple History” useful. if you like this article please share on Facebook & Whatsapp. and for latest update Download: Gyani Pandit free Android app.