Kal Bhairav Temple
मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में स्थित काल भैरव मंदिर हिन्दू देवता का मंदिर है। यह मंदिर शहर के रक्षक देवता काल भैरव को समर्पित है। यह मंदिर शिप्रा नदी के तट पर स्थित है, भारत के जागृत मंदिरों में इस मंदिर का नाम शामिल है।
उज्जैन के काल भैरव मंदिर का इतिहास – Kal Bhairav Temple Ujjain
शिव की पूजा करनेवाले आठ भैरव की पूजा करते है, जिसमे काल भैरव सबसे महत्वपूर्ण है। ऐसा कहा जाता है की काल भैरव मंदिर का निर्माण भद्रसेन राजा ने करवाया था। इस मंदिर का निर्माण शिप्रा नदी के किनारे करवाया गया था, जिसका आनंददायक दृश्य प्रवासी को उत्साही बनाता है और उसे अपने पापो से मुक्ति दिलाता है।
कपालिका और अघोरा संप्रदाय के लोग ज्यादातर काल भैरव की ही पूजा करते है। इसीलिए काल भैरव का मंदिर उनके लिए काफी महत्वपूर्ण है। हर रोज यहापर हजारों भक्त भगवान के दर्शन करने के लिए आते है।
भगवान को पूजा करने के समय शराब भी चढ़ाई जाती है और इस काल भैरव मंदिर को मालवा की सुन्दर वास्तुकला में बनवाया गया है। इस मंदिर की दीवारों पर बहुत ही खुबसूरत पेंटिंग्स बनायीं गयी है।
ऐसा माना जाता है की काल भैरव का पहला मंदिर भद्रसेन राजा ने बनवाया था। इस बात का जिक्र स्कन्द पुराण के अवन्ती खंड में आता है। अभी का जो काल भैरव मंदिर है उसपर मराठा का प्रभाव नजर आता है।
परमार शासनकाल (9 वी से 13 वी शताब्दी) के दौरान की शिव, पार्वती, विष्णु और गणेश की प्रतिमाये इसी जगह से मिली है। एक समय में इस मंदिर की दीवारे मालवा पेंटिंग्स से सजाई जाती थी। लेकिन अब उन पेंटिंग्स के कुछ भाग ही नजर आते है।
यहा के लोगो के अनुसार जब पानीपत की तीसरी लड़ाई (सन 1761) में मराठा बुरी तरह से हारने के बाद उत्तर भारत में मराठा साम्राज्य को जीत दिलाकर सत्ता स्थापित करने के लिए मराठा जनरल महादजी शिंदे ने भगवान काल भैरव को अपनी पगरी अर्पण कर दी थी ताकि उन्हें लड़ाई में जीत मिल सके।
और बाद में फिर मराठा की जीत होने के बाद महादजी शिंदे ने मंदिर के निर्माण का काम और बड़ा कर दिया था।
इस काल भैरव मंदिर के जैसा हुबहू दूसरा काल भैरव मंदिर गुजरात में भूज मुंद्रा रास्ते पर निर्माण किया गया है।
किसी भी भगवान के मंदिर में प्रवेश करने के बाद सभी भगवान की पूजा करते है। पूजा करने के लिए कोई फूल, प्रसाद, बेल के पत्ते, हार, नारियल आदि चढ़ाता है।
मगर क्या किसी को पता है की उज्जैन के जागृत काल भैरव मंदिर में जाने के बाद भगवान को पूजा में क्या चढ़ाया जाता है? भगवान को प्रसन्न करने के लिए फूल, प्रसाद, हार, नारियल तो चढ़ाया ही जाता है लेकिन इसके साथ में भगवान को शराब भी चढ़ाई जाती है।
शराब चढाने के बाद ही भगवान काल भैरव प्रसन्न होते है और भक्तों को आशीर्वाद देते है।
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