Sitabuldi Fort
सिताबर्डी किला जो नागपुर महाराष्ट्र के उचे पहाड़ी पर स्थित है। मुधोल जी 2 भोसले यानी अप्पा साहेब भोसले ने इस किले को बनवाया था।
ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के खिलाफ तीसरे एंग्लो मराठा युद्ध में लड़ाई करने से पूर्व इस किले का निर्माण किया गया था। अभी सिताबर्डी नागपुर का एक महत्वपूर्ण वाणिज्यिक केंद्र बन चूका है।
सिताबर्डी किले का इतिहास – Sitabuldi Fort
सीताबर्डी के लड़ाई में जो ब्रिटिश सेना मारी गयी उसे किले के कब्र में दफनाया गया। 1857 के भारतीय विद्रोह में हारने के बाद टीपू सुलतान का पोता नवाब कादर अली और उसके आठ सहकारी को सीताबर्डी किले पर फासी दे दी गयी।
जहा फासी दी गयी वहा पर एक मश्जिद बनाई गयी। कब्र और मश्जिद की व्यवस्था भारतीय सेना द्वारा की जाती है, जो मरने वालो की वीरता का प्रतिक है।
महात्मा गाँधी को 10 अप्रैल से 15 मई 1923 तक इस किले पर बंदी बनाया था। इंग्लैंड के राजा जॉर्ज 5 और रानी मैरी ने इस किले पर से नागपुर के लोगों से भेट की थी। इस घटना को याद रखने के लिए किले पर एक स्तंभ बनवाया गया।
सीताबर्डी का पूरा मैदान पेड़ो से रहित और पत्थरो से भरा है। इन दो पहाड़ी में जो उचाई में छोटी है, उत्तरी दिशा में है और इसे छोटी टेकडी कहते है जो बड़ी टेकडी के बंदूक की श्रुंखला में आती है। इसलिए उस मैदान को सुरक्षीत करना आवश्यक है। शहर का उपनगर छोटी टेकडी के नजदीक है।
यह किला अभी भारतीय सेना के 118 वी पैदल सेना बटालियन (प्रादेशिक सेना) ग्रेनेडियर्स का घर है। यह किला साल के तीन बार जनता के लिए खुला रहता है: 1 मई (महाराष्ट्र दिवस), 15 अगस्त और 26 जनवरी।
Read More:
Hope you find this post about ”Sitabuldi Fort History in Hindi” useful and inspiring. if you like this Article please share on Facebook & Whatsapp. and for latest update download : Gyani Pandit free Android app.
Aapne iss desh ke ithass ko bahut achhe se bataya hai. thank you sir