भगवान शिव का पहला मंदिर “नागेश्वर ज्योतिर्लिंग” | Nageshwar Jyotirling

Nageshwar Jyotirling – नागेश्वर ज्योतिर्लिंग भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है, जिसका विवरण शिवपुराण में भी किया गया है। भगवान शिव के मंदिरों में यह पहला मंदिर है जिसका विवरण शिवपुराण में किया गया है।
Nageshwar Jyotirling

भगवान शिव का पहला मंदिर “नागेश्वर ज्योतिर्लिंग” – Nageshwar Jyotirling

नागेश्वर मंदिर या नागनाथ मंदिर गोमती द्वारका और द्वारकापूरी के बीच गुजरात में सौराष्ट्र की सीमा पर बना हुआ है। इस मंदिर में पाए जाने वाले पिण्ड को भगवान शिव को नागेश्वर महादेव कहा जाता है और यह मंदिर हजारो तीर्थयात्रियो को आकर्षित करता है।

कहा जाता है की जो लोग नागेश्वर महादेव की पूजा करते है वे विष से मुक्त हो जाते है। रूद्र संहिता श्लोक में भी नागेश्वर का उल्लेख किया गया है।

किवदंती:

सुप्रिय नामक एक बड़ा धर्मात्मा और सदाचारी वैश्य था। वह भगवान्‌ शिव का अनन्य भक्त था। वह निरन्तर उनकी आराधना, पूजन और ध्यान में तल्लीन रहता था। अपने सारे कार्य वह भगवान्‌ शिव को अर्पित करके करता था।

मन, वचन, कर्म से वह पूर्णतः शिवार्चन में ही तल्लीन रहता था। उसकी इस शिव भक्ति से दारुक नामक एक राक्षस बहुत क्रुद्व रहता था।

उसे भगवान्‌ शिव की यह पूजा किसी प्रकार भी अच्छी नहीं लगती थी। वह निरन्तर इस बात का प्रयत्न किया करता था कि उस सुप्रिय की पूजा-अर्चना में विघ्न पहुँचे।

एक बार सुप्रिय नौका पर सवार होकर कहीं जा रहा था। उस दुष्ट राक्षस दारुक ने यह उपयुक्त अवसर देखकर नौका पर आक्रमण कर दिया। उसने नौका में सवार सभी यात्रियों को पकड़कर अपनी राजधानी में ले जाकर कैद कर लिया। सुप्रिय कारागार में भी अपने नित्यनियम के अनुसार भगवान्‌ शिव की पूजा-आराधना करने लगा।

अन्य बंदी यात्रियों को भी वह शिव भक्ति की प्रेरणा देने लगा। दारुक ने जब अपने सेवकों से सुप्रिय के विषय में यह समाचार सुना तब वह अत्यन्त क्रोधित होकर उस कारागर में आ पहुँचा।

सुप्रिय उस समय भगवान्‌ शिव के चरणों में ध्यान लगाए हुए दोनों आँखें बंद किए बैठा था। उस राक्षस ने उसकी यह मुद्रा देखकर अत्यन्त भीषण स्वर में उसे डाँटते हुए कहा- ‘अरे दुष्ट वैश्य! तू आँखें बंद कर इस समय यहाँ कौन- से उपद्रव और षड्यन्त्र करने की बातें सोच रहा है?’ उसके यह कहने पर भी धर्मात्मा शिवभक्त सुप्रिय की समाधि भंग नहीं हुई।

अब तो वह दारुक राक्षस क्रोध से एकदम पागल हो उठा। उसने तत्काल अपने अनुचरों को सुप्रिय तथा अन्य सभी बंदियों को मार डालने का आदेश दे दिया। सुप्रिय उसके इस आदेश से जरा भी विचलित और भयभीत नहीं हुआ।

वह एकाग्र मन से अपनी और अन्य बंदियों की मुक्ति के लिए भगवान्‌ शिव से प्रार्थना करने लगा। उसे यह पूर्ण विश्वास था कि मेरे आराध्य भगवान्‌ शिवजी इस विपत्ति से मुझे अवश्य ही छुटकारा दिलाएँगे। उसकी प्रार्थना सुनकर भगवान्‌ शंकरजी तत्क्षण उस कारागार में एक ऊँचे स्थान में एक चमकते हुए सिंहासन पर स्थित होकर ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हो गए।

उन्होंने इस प्रकार सुप्रिय को दर्शन देकर उसे अपना पाशुपत-अस्त्र भी प्रदान किया। इस अस्त्र से राक्षस दारुक तथा उसके सहायक का वध करके सुप्रिय शिवधाम को चला गया। भगवान्‌ शिव के आदेशानुसार ही इस ज्योतिर्लिंग का नाम नागेश्वर पड़ा।

इस ज्योतिर्लिंग के अलावा इतिहास में दो और नागेश्वर ज्योतिर्लिंगों का विवरण हमें देखने मिलता है। जिनमे से एक आंध्रप्रदेश में पूर्णा के पास औधग्राम में और दूसरा उत्तरप्रदेश में अल्मोरा के पास है। शिवपुराण के अनुसार जो भी एक बार नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर लेता है, वह अंत तक खुश और समृद्ध रहता है।

शिव पुराण के अनुसार नागेश्वर ज्योतिर्लिंग ‘दारुकावन’ में है, जो भारत में जंगलो का प्राचीन नाम हुआ करता था। ‘दारुकावन’ का उल्लेख हमें महाकाव्य जैसे कम्यकावना, दैत्यावना और दंदकावना में भी दिखाई देता है।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग जहाँ बना हुआ है वहाँ कोई गाँव या शहर नही है बल्कि यह मंदिर द्वारका से दूर जंगलो में बना हुआ है।

वर्तमान में नागेश्वर मंदिर परिसर में भगवान शिव की विशालकाय मूर्ति भी बनी हुई है, जो तीर्थयात्रियो के आकर्षण का भी मुख्य केंद्र है। इस मंदिर का अद्भुत रूप निश्चित रूप से देखने लायक है और शिवभक्तो के लिए तो यह मंदिर कैलाश पर्वत से कम नही।

More on Jyotirlinga:

Hope you find this post about ”Nageshwar Jyotirling” useful. if you like this article please share on Facebook & Whatsapp. and for latest update Download: Gyani Pandit free Android app.

Note: We try hard for correctness and accuracy. please tell us If you see something that doesn’t look correct in this article About Nageshwar Temple in Hindi… And if you have more information History of Nageshwar Jyotirling then help for the improvements this article.

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top